सौतेली बहन और सौतेला भाई बाथरूम में एक वर्जित मुठभेड़ का आनंद लेते हैं, जो एक गर्म और संतोषजनक समापन में परिणत होता है।.
निषिद्ध आनंद के दायरे में लिप्त एक युवक अपनी सौतेली बहन के आकर्षण के आगे झुक जाता है। मंच उनके साझा घर के अभयारण्य में सेट है, जहां बाथरूम की सीमाओं के भीतर इच्छा की सीमाएं धुंधली हो जाती हैं। उसका बंधा हुआ, उसके हाथ ऊपर संयमित, अपने आप को उसके आदेश के हवाले कर देते हैं। वह प्रलोभन की दृष्टि, नियंत्रण को जब्त करती है, उसकी उंगलियां उसकी गहराइयों में तल्लीन होती हैं। कमरा उनकी कराहों से गूंजता है, उसकी अंतरंग गुफाओं में उसकी जीभ को डुबोते हुए परमान की एक सिम्फनी। चरमोत्कर्ष आता है, आनंद का एक झरना, उसकी जीभ और मुँह लबाल से भर जाता है। यह सिर्फ एक कल्पना से कहीं अधिक है; इसकी वास्तविकता, इच्छा की शक्ति का एक वसीयतनामा और निषिद्ध फल की अप्रतिरोध्य खींचना इसकी गहराई में यात्रा है। यह कल्पनाओं की गहराई, जहां जीवन की कल्पनाओं, कल्पनाओं और सीमाओं को पार करने की इच्छा होती है।.